अपमानित आउ तिरस्कृत
भाग 1
अध्याय 6
हम
उनकन्हीं के एक्के बैठक में अपन उपन्यास पढ़के सुना देलिअइ। हमन्हीं चाय के तुरते बाद
शुरू करते गेलिअइ, आउ दू बजे सुबह तक बैठलिअइ। बुढ़उ शुरू में अपन नाक फोंकरइलथिन। ऊ
कुछ तो अगम्य उँचगर के आशा कइलथिन हल, अइसन, जे गनको समझ में नञ् आ सकते हल, लेकिन
खाली पक्का उँचगर; लेकिन ओकर जगह पर अचानक अइसन रोजमर्रा के जिनगी आउ सब कुछ जानल-पछानल
- बिलकुल ओहे, जे साधारणतः चारो तरफ घटित होवऽ हइ। आउ निम्मन होते हल अगर कोय महान
चाहे रोचक व्यक्ति हीरो होते हल, चाहे कुच्छो ऐतिहासिक में से, जइसे रोस्लावलेव[1] चाहे
यूरी मिलोस्लाव्स्की[2]; लेकिन
हियाँ परी कइसनो छोटगर, दलित आउ मूरख क्लर्क के भी प्रस्तुत कइल गेले ह, जेकर वरदी
में बोतामो गायब हलइ[3]; आउ
ई सब कुछ एतना सरल भाषा में वर्णन कइल हइ, बिलकुल जइसे हमन्हीं बोलऽ हिअइ ... विचित्र
बात हइ! बूढ़ी सवालिया नजर से निकोलाय सिर्गेयिच दने तकलकइ आउ जरी अकड़ भी देखइलकइ, मानु
कोय बात से अपमानित अनुभव कइलके हल - "की सच में अइसन बकवास प्रकाशित करे आउ सुन्ने
के लायक हइ, आउ ओकरो पर एकरा लगी पैसो देल जा हइ" - ओकर चेहरा पर लिक्खल हलइ।
नताशा पूरा ध्यान देलकइ, उत्साहपूर्क सुनलकइ, हमरा पर से अपन नजर नञ् हटइलकइ, हरेक
शब्द के उच्चारण करते बखत हमर होंठ तरफ ध्यान से देखते, आउ खुद अपन सुन्दर होंठ के
हिलइते रहलइ। आउ फेर की? एकर पहिले कि हम आधा पढ़ चुकलिअइ, हमर सब्भे श्रोता के आँख
से आँसू बह रहले हल। आन्ना अन्द्रेयेव्ना अंतःकरण से रो रहले हल, हमर हीरो पर पूरे
दिल के गहराई से सहानुभूति देखइते आउ अत्यंत सहज ढंग से बल्कि कुच्छो से ओकर दुख-तकलीफ
में सहायता करे के इच्छा करते, जइसन कि हम ओकर उद्गार से हम समझ पइलिअइ। बुढ़उ कुच्छो
उँचगर विचार के आशा पहिलहीं छोड़ देलथिन हल - "पहिलहीं चरण से स्पष्ट हइ, कि शीर्ष
पर पहुँचे में [*189] टैम लगतो; बस, खाली एगो
कहानी हइ; लेकिन ई हृदय के स्पर्श करऽ हइ", ऊ बोललथिन, "लेकिन स्पष्ट आउ
स्मरणीय हो जा हइ, जे आसपास घटित होवऽ हइ; लेकिन जानल बात हइ, कि सबसे दलित, अन्तिम
व्यक्ति भी मानव हइ आउ हमर भाय हइ![4]"
नताशा सुनलकइ, कनलइ आउ टेबुल के निच्चे, चोरी-चुपके, जोर से हमर हाथ दबइलकइ।
पठन समाप्त हो गेलइ। ऊ उठ गेलइ; ओकर गाल तमतमा गेलइ, आँख में पानी आ गेलइ; अचानक ऊ
हमर हाथ पकड़ लेलकइ, ओकरा चुमलकइ आउ कमरा से बाहर भाग गेलइ। बाप-माय एक दोसरा दने तक्के
लगलथिन।
"हूँ! ऊ केतना हर्षित हइ", बुढ़उ बोललथिन,
बेटी के व्यवहार देखके अचंभित होल, "कोय बात नञ्, लेकिन, ई निम्मन हइ, निम्मन,
उदार आवेश (impulse) हइ! ऊ दयालु लड़की हइ ...", ऊ बड़बड़इलथिन, पत्नी दने कनखी से
देखते, मानु नताशा के सही ठहरावे लगी चाहते, आउ साथे-साथ कोय कारणवश हमरो सही ठहरावे
लगी चाहते।
लेकिन आन्ना अन्द्रेयेव्ना, पठन के दौरान खुद
कइसनो उत्तेजना में आउ भाव-विह्वल होवे के बावजूद, अब अइसे देख रहले हल, मानु कहे लगी
चाह रहले हल - "निस्सन्देह, मकदूनिया के सिकंदर हीरो हलइ, लेकिन एकरा लगी कुरसी
तोड़े के की जरूरत हइ?[5]"
इत्यादि। नताशा जल्दीए वापिस आ गेलइ, खुश आउ आनंदित, आउ, सामने से गुजरते, चुपके से
हमरा चुट्टी काट लेलकइ। बुढ़उ हमर उपन्यास के फेर से "गंभीरतापूर्वक" मूल्यांकन
करे के प्रयास कइलथिन, लेकिन खुशी के मारे खुद के रोक नञ् पइलथिन आउ भावना में बह गेलथिन
–
"अच्छऽ, भाय वान्या, ठीक हको, ठीक हको!
तसल्ली दे देलऽ! एतना तस्ल्ली दे देलऽ, जेकर हम आशा भी नञ् कइलियो हल। ई उच्च नञ् हइ,
महान नञ् हइ, ई बात साफ हइ ... अइकी हमरा पास ‘मास्को के मुक्ति’[6]
(Liberation of Moscow) हइ, एकर रचना मास्को
में हीं कइल गेले हल - एकरा में शुरुए लाइन से, भाय, स्पष्ट हइ, अइसन कहल जा सकऽ हइ,
अदमी उकाब नियन उपरे उठ गेलइ ... लेकिन जानऽ हो, वान्या, तोहर उपन्यास कइसूँ जादे सरल
हकइ, असानी से समझ में आवऽ हइ। ओहे से एकरा ई लगी पसीन करऽ हिअइ, कि जादे असानी से
समझ में आवऽ हइ! कइसूँ जादे नगीच के हइ; मानु ठीक हमरे साथ ई सब कुछ घटले ह। त फेर
एकरा में उच्च कउची हइ? आउ हमरा खुद्दे नञ् समझ में अइते हल। हम तो भाषा के सुधार देतिए
हल - हम तो खैर प्रशंसा करऽ हियो, लेकिन चाहे जे कहऽ, तइयो बहुत कम उच्च हको ... खैर,
अब तो देर हो चुकलो ह - मुद्रित हो चुकलो ह। की वास्तव में दोसर संस्करण होतइ? लेकिन
भाय, दोसरो संस्करण, शायद, होतइ, त? त फेर से पैसा ... हूँ ..."
"की वास्तव में तोहरा ओतना पैसा मिललो,
इवान पित्रोविच?" आन्ना अन्द्रेयेव्ना पुछलकइ। "हम तोहरा देखऽ हियो, आउ कइसूँ
हमरा विश्वास नञ् होवऽ हको। हे भगमान, कउची पर अब पैसा देल जाय लगले ह!"
"जानऽ हो, वान्या?" बुढ़उ बात जारी
रखलथिन, अधिकाधिक भावना में बहते, "ई हलाँकि सर्विस नञ् हइ, लेकिन तइयो वृत्त्ति
(career) हइ। बड़गो लोग भी पढ़थुन। अइकि तूँ कहलहो, गोगल के वार्षिक सहायता मिल्लऽ
हइ आउ विदेश भेजल गेलइ[7]।
आउ अगर तोहरो भेजल जाय तो? अयँ? कि अभियो जल्दीबाजी हइ? अभी आउ कुछ लिक्खे के जरूरत
हइ? त लिखहो, भाय, लिखहो जल्दी से जल्दी! विजयमाला (laurels) पर सो नञ् जा। त अब देखे के की हको!"
आउ ऊ अइसन आश्वस्त लहजा में कहलथिन, अइसन नेकदिली
से, कि हम उनका रोके के आउ उनकर कपोल-कल्पना (fantasy) के दूर करे के निश्चय नञ् कर
पइलिअइ।
"चाहे, मसलन, नासदान (snuff-box) देल जइतो
... की? अनुग्रह लगी आखिर कोय नमूना नञ् होवऽ हइ (अर्थात् अनुग्रह कइसनो रूप में रहे,
निम्मन होवऽ हइ)। ऊ सब प्रोत्साहित करे लगी चाहऽ हथुन। आउ केऽ जानऽ हइ, शायद कोर्ट
तक पहुँच जा", आधा फुसफुसाहट में आउ काफी आशा के [*190]
लहजा में ऊ आगू बोललथिन, अपन बामा आँख के मिचकइते। "कि नञ्? कि कोर्ट लगी अभियो
जरी जल्दीबाजी हइ?"
"अच्छऽ, त कोर्ट तक!" आन्ना अन्द्रेयेव्ना
बोललइ, मानु अपमानित अनुभव करके।
"कुछ आउ समय बाद, हमरा तो जेनरल (सेनापति)
बना देबऽ", हम उत्तर देलीहइ, दिल से खुलके हँसते।
बुढ़उ भी हँस पड़लथिन। ऊ अत्यंत प्रसन्न हलथिन।
"महामहिम, कुछ खइथिन?" चंचल नताशा
चीख पड़लइ, जे ई दौरान हमन्हीं लगी भोजन ले अइले हल।
ऊ ठठाके हँस पड़लइ, दौड़ल पिता के पास गेलइ आउ
अपन गरम हाथ से कसके उनका गले लग गेलइ -
"प्यारे, प्यारे पिताजी!"
बुढ़उ द्रवीभूत हो गेलथिन।
"अच्छऽ, अच्छऽ, ठीक हको, ठीक हको! हम आखिर
अइसीं, सहज रूप से बोलऽ हियो। जेनरल चाहे नञ् जेनरल, भोजन खातिर चलल जाय। आउ तूँ भावुक
लड़की!" ऊ आगू बोललथिन, लाल होल गाल पर अपन नताशा के थपथपइते, जे उबका हरेक सुअवसर
पर करना पसीन हलइ, "हम, जइसन के देखवे करऽ हो, वान्या, प्यार में बोललियो। अच्छऽ,
बल्कि जेनरल नञ् (जेनरल से कहीं दूर!), लेकिन तइयो प्रसिद्ध व्यक्ति, कहानीकार!"
"अब तो, प्यारे पिताजी, लोग बोलऽ हइ -
लेखक।"
"आउ कहानीकार नञ्? हमरा मालुम नञ् हले।
खैर, मान लेल जाय, लेखक हीं सही; लेकिन अइकी हम कहे लगी चाहऽ हलिअइ - कामेरहेर[8]
तो, निस्सन्देह, नञ् बनावल जइता ई कारण से, कि उपन्यास लिखलका; एकरा बारे सोचे के भी
कोय बात नञ् हइ; लेकिन तइयो लोग के बीच जाल जा सकऽ हइ; हुआँ एक प्रकार के अताशे[9]
बन्नल जा सकऽ हइ। विदेश भेजल जा सकऽ हइ, इटली, स्वास्थ्य सुधार लगी चाहे हुआँ परी विज्ञान
में सुधार खातिर; पैसा से सहायता मिल सकऽ हइ। जाहिर हइ, ई सब तोहरा लगी निम्मन होतो;
काम खातिर, असली काम खातिर पैसा आउ प्रतिष्ठा लेवे के चाही, आउ ई लगी नञ्, कि कइसनो
हुआँ, संरक्षण के रूप में..."
"आउ तूँ तब घमंड नञ् करिहऽ, इवान पित्रोविच",
आन्ना अन्द्रेयेव्ना, हँसते, आगू बोललइ।
"हाँ प्रिय पिताजी, इनका जल्दी से जल्दी
तारा (star)प्रदान कइल जाय, नञ् तो असल में, अताशे आउ अताशे!"
आउ ऊ फेर से हमर हाथ में चुट्टी कटलकइ।
"आउ ई लड़की हमरा पर मजाक उड़इते रहऽ हइ!"
बुढ़उ चीख उठलथिन, खुशी से नताशा तरफ देखते, जेकर गाल तमतमाल हलइ, आउ आँख खुशी से चमक
रहले हल, तरिंगन नियन।
"हम, बुतरू सब, लगऽ हको, कि वास्तव में
दूर तक चल गेलियो, अलनास्करोव[10]
के सपना देखे लगलियो; आउ हमेशे ओइसन हलियो ... लेकिन जानऽ हो, वान्या, हम तोहरा दने
देखऽ हियो - तूँ हमन्हीं साथ केतना सीधा-सादा नियन व्यवहार करऽ हो ..."
"ओह, हे भगमान! त उनका कइसन होवे के चाही,
पिताजी?"
"अरे नञ्, हमर कहे के ऊ मतलब नञ् हलइ।
बल्कि खाली तइयो, वान्या, तोहर तो कइसनो अइसन चेहरा हको ... मतलब, बिलकुल मानु कवि
के नियन नञ् ... ई तरह, जानऽ हो, लोग के कहना हइ, कि उनकन्हीं, कवि लोग तो, पीयर होवऽ
हथिन, आउ केश अइसन होवऽ हइ, आउ आँख में कुछ अइसन होवऽ हइ ... जानऽ हो, हुआँ ग्योटऽ[11] चाहे आउ लोग ... हम ई "आब्बादोन्ना"[12]
में पढ़लिए हल ... लेकिन की बात हइ? फेर से कुछ झूठ कहलिअइ? अरे, शरारती लड़की, हमरा
पर अइसीं खिखियाब करऽ हइ! हम तो, हमर [*191] दोस्त लोग, विद्वान नञ् हिअइ, खाली अनुभव
कर सकऽ हिअइ। खैर, चेहरा चाहे नञ् चेहरा - ई तो खैर कोय बड़गो समस्या नञ् हइ, जाहाँ
तक चेहरा के बात हइ; हमरा लगी तो तोहर चेहरा निम्मन हको, आउ बहुत पसीन पड़ऽ हको ...
हमर आखिर ई कहे के मतलब नञ् हलइ ... खाली ईमानदार हो, वान्या, ईमानदार हो, ई मुख्य
हइ; ईमानदारी से जिनगी गुजारऽ, सपना नञ् देखऽ! तोहर रस्ता चौड़गर हको। अपन काम के निष्ठापूर्वक
करऽ; एहे हम कहे लगी चाहऽ हलियो, ठीक एहे बात हम कहे लगी चाहऽ हलियो!"
बहुत निम्मन हलइ समय! सब फुरसत के समय, सब शाम
हम उनकन्हीं साथ गुजरलिअइ। बुढ़उ खातिर साहित्यिक जगत् के बारे समाचार लावऽ हलिअइ, साहित्यकार
लोग के बारे, जेकन्हीं में ऊ अचानक, नञ् मालुम काहे, अत्यंत रुचि लेवे लगलथिन; हियाँ
तक कि बी॰ के आलोचनात्मक लेख पढ़े लगलथिन, जिनका बारे हम उनका से बहुत चर्चा करऽ हलिअइ
आउ जिनका ऊ लगभग बिलकुल नञ् समझ पावऽ हलथिन, लेकिन हर्षातिरेक में प्रशंसा करऽ हलथिन
आउ उनकर शत्रु लोग पर कटुतापूर्वक शिकायत करऽ हलथिन, जेकन्हीं “सेविर्नी त्रूतेन”[13]
में लिखते जा हलइ। बूढ़ी हमरा आउ नताशा पर तेज नजर रखले हलइ; लेकिन ऊ हमन्हीं के निम्मन
से समझ नञ् पइलकइ! हमन्हीं दुन्नु बीच एक्के शब्द बोलल गेले हल, आउ हम आखिरकार सुनलिअइ,
कि कइसे नताशा, अपन सिर झुकइले आउ अपन होंठ आधा खुल्ला रखके, लगभग फुसफुसाहट में हमरा
कहलकइ - "हाँ"। लेकिन बूढ़ा-बूढ़ी के भी पता चल गेलइ; अनुमान लगा लेलथिन, सोचलथिन;
आन्ना अन्द्रेयेव्ना देर तक सिर हिलइते रहलइ। ओकरा विचित्र आउ डरावना लगलइ। ओकरा हमरा
पर विश्वास नञ् हलइ।
"खैर, सफलता तो निम्मन हइ, इवान पित्रोविच",
ऊ बोललइ, "लेकिन अचानक सफलता नञ् मिल्लइ चाहे अइसने कुछ; तब की? काश, कहीं सर्विस
करतहो हल!"
"त हम तोहरा ई कहबो, वान्या", सोचके
बुढ़उ निर्णय कइलथिन, "हम खुद ई देखलिअइ, नोटिस कइलिअइ, आउ स्वीकार करऽ हिअइ, हियाँ
तक कि हमरा खुशी होलइ, कि तूँ आउ नताशा ... खैर, एकरा में की हइ! देखऽ हो, वान्या
- तोहन्हीं दुन्नु अभियो बहुत अल्पवयस्क हकऽ, आउ हमर आन्ना अन्द्रेयेव्ना सही हइ। इंतजार
कइल जाय। तूँ, मानऽ हिअइ, प्रतिभाशाली, हियाँ तक कि अद्भुत प्रतिभाशाली हकऽ ... लेकिन
अतिप्रतिभाशाली नञ्, जइसन कि तोहरा बारे पहिले चिल्ला हलइ, बल्कि अइसीं, बस प्रतिभाशाली
(हम आझो तोहरा पर 'त्रूतेन' में समीक्षा पढ़लियो; ओकरा में तोहरा साथ रूक्ष व्यवहार
करते जा हइ - लेकिन खैर, ई कइसन पत्रिका हइ!)। हाँ! देखवे करऽ हो - प्रतिभा तो आखिर
अभी बैंक में पैसा नञ् हइ; आउ तोहन्हीं दुन्नु गरीब हकऽ। त कोय डेढ़ साल, चाहे बल्कि
एक साल के इंतजार कइल जाय - अगर सब कुछ ठीक चलतो, अपन रस्ता पर खुद के दृढ़ रूप से स्थापित
कर लेबऽ - त नताशा तोहर होतो; आउ अगर सफल नञ् हो पइबऽ - त खुद्दे फैसला करिहऽ! ...
तूँ ईमानदार अदमी हकऽ; जरी सोचऽ! ..."
बात हिएँ समाप्त हो गेलइ। आउ एक साल के बाद
अइकी अइसन घटना घटलइ। हाँ, ई लगभग एक साल बाद होलइ! सितंबर के एक साफ दिन, शाम के पहिले,
हम अपन बूढ़ा-बूढ़ी के हियाँ बेमार हालत में प्रवेश कइलिअइ, दिल बैठल हलइ आउ कुरसी पर
लगभग मूर्छित गिर गेलिअइ, ओहे से उनकन्हिंयों भयभीत हो गेते गेलथिन, हमरा दने तकते।
लेकिन ई कारण से नञ्, कि हमर तहिया सिर चकरा हलइ आउ मन उदास हलइ, आउ हम दस तुरी उनकन्हीं
के दरवाजा भिर गेलिअइ आउ दस तुरी वापिस आ गेलिअइ, एकर पहिले कि हम अन्दर प्रवेश कइलिअइ
- ई कारण से नञ्, कि हमर वृत्ति सफल नञ् होलइ आउ हमरा पास न तो प्रसिद्धि हलइ आउ न
पैसा; ई कारण से नञ्, कि हम अभियो एक प्रकार के "अताशे" नञ् हिअइ आउ ई संभावना
बिलकुल दूर हलइ कि हमरा अपन स्वास्थ्य सुधार हेतु इटली भेजल जइते हल; बल्कि ई कारण
से, कि एक साल में दस साल नियन जिनगी जीयल जा सकऽ हइ, आउ ई साल हमर नताशा दस साल के
जिनगी गुजरलकइ। हमन्हीं दुन्नु के बीच अनन्त हलइ ... आउ अइकी, हमरा आद पड़ऽ हइ, हम बुढ़उ
के पास बैठल हलिअइ, चुप हलिअइ आउ अन्यमनस्क हाथ से पहिलहीं से [*192]
फट्टल टोपी के किनारा के फाड़ रहलिए हल; बैठल हलिअइ आउ इंतजार कर रहलिए हल, मालुम नञ्
काहे लगी, कि अब नताशा निकसके अइतइ। हमर पोशाक के हालत दयनीय हलइ आउ हमरा फिट नञ् होवऽ
हलइ; चेहरा से हम दुब्बर हो गेलिए हल, वजन कम हो गेले हल, चेहरा पीर पड़ गेले हल - लेकिन
तइयो हम कोय कवि नियन नञ् हलिअइ, आउ हमर आँख में महानता के कोय लक्षण नञ् हलइ, जेकरा
लगी कभी उदार निकोलाय सिर्गेयिच एतना फिकिर करऽ हलथिन। बूढ़ी हमरा दने बिलकुल सहज रूप
से आउ जरी सहानुभूतिपूर्वक देख रहले हल, आउ सोच रहले हल - "आखिर अइसे लगभग नताशा
के मंगेतर बन गेलइ, भगमान दया करे आउ सुरक्षित रक्खे!"
"की, इवान पित्रोवच, चाय लेबऽ? (समावार
टेबुल पर खौल रहले हल), कइसन हकऽ, बबुआ? पूरा बेमार लगऽ हकऽ", ऊ करुण स्वर में
हमरा पुछलकइ, जइसन हमरा अभी सुनाय दे हइ।
आउ जइसन कि हम अभी देखऽ हिअइ - ऊ हमरा से बोलऽ
हइ, आउ ओकर आँख में कोय दोसरे चिंता झलकऽ हइ, ठीक ओहे चिंता, जेकरा से ओकर बुढ़उ के
आँख पर अन्हेरा छा गेले हल आउ जेकरा चलते ऊ (बुढ़उ) अब ठंढा हो रहल (चाय के) कप पर बैठल
हलइ आउ सोच-विचार में निमग्न हलइ। हम जानऽ हलिअइ, कि उनकन्हीं के ई बखत वलकोव्स्की
के साथ मोकदमा बहुत चिंतित कइले हइ, जे उनकन्हीं लगी बिलकुल ठीक नञ् हलइ, कि उनकन्हीं
साथ आउ नयका अप्रिय घटना सब घट गेलइ, जे निकोलाय सिर्गेयिच के तोड़ देलके हल आउ बेमार
कर देलके हल। नवयुवक प्रिंस के, जेकरा चलते ई मोकदमा के पूरा कहानी शुरू होले हल, पाँच
महिन्ना पहिले इख़मेनेव परिवार के हियाँ भेंट देवे के मोक्का मिलले हल। बुढ़उ, जे अल्योशा
के अपन बेटा नियन प्यार देलथिन हल, लगभग हर दिन ओकरा बारे आद करऽ हलथिन, ओकरा खुशी
से स्वागत कइलथिन। आन्ना अन्द्रेयेव्ना के वसिल्येव्स्कए के आद अइलइ आउ रो पड़लइ। अल्योशा
उनकन्हीं हीं अधिकाधिक अकसर आवे लगलइ, अपन बाप से चुपके-चोरी; ईमानदार, खुला दिल के,
सरलहृदय निकोलाय सिर्गेयिच रोष सहित सब सावधानी के ठुकरा देलथिन। अपन उदार अहंकार के
कारण ऊ सोचहूँ लगी नञ् चहलथिन - प्रिंस की कहतइ, अगर ओकरा मालुम पड़ जइतइ, कि ओकर बेटा
के फेर से इख़मेनेव के घर में स्वागत कइल गेले ह, आउ मानसिक रूप से ऊ ओकर सब ऊटपटांग
शंका से घृणा कर हलइ। लेकिन बुढ़उ नञ् जानऽ हलथिन, कि उनका आउ नयका अपमान सहन करे के
शक्ति होतइ। नवयुवक प्रिंस उनका हीं लगभग रोज दिन आवे लगलइ। ओकरा से बूढ़ा-बूढ़ी के खुशी
होवऽ हलइ। पूरे शाम आउ अधरात के बाद देर तक ऊ उनकन्हीं साथ गुजारऽ हलइ। जाहिर हइ, ओकर
बाप के पता चल गेलइ, आखिरकार, सब कुछ के बारे। अत्यंत घृणित अफवाह फैललइ। ऊ एगो भयंकर
पत्र के माध्यम से निकोलाय सिर्गेयिच के अपमानित कइलकइ, ठीक पहिलउके विषय के लेके,
आउ अपन बेटा के इख़मेनेव के हियाँ भेंट देवे से सख्त मनाही कर देलकइ। ई हमर उनकन्हीं
हीं आवे के बस दू सप्ताह पहिले होलइ। बुढ़उ अत्यंत उदास हो गेलथिन। कइसे! उनकर निर्दोष,
उदार, नताशा के अब फेर से अइसन घृणित तोहमत (मिथ्यापवाद) में, अइसन नीचता (कमीनापन)
में घसीटना! ओकर नाम पहिलहूँ अपमानजनक रूप से बोलल गेले हल ऊ अदमी से, जे उनका अपमानित
कइलके हल ... आउ ई सब के बिन संतुष्टि (बदला) के छोड़ देना! पहिलउका कुछ दिन तो ऊ निराश
होल शय्या पर गेलथिन। हमरा ई सब मालुम हलइ। ई सब कहानी हमरा भिर विस्तार में पहुँचलइ,
हलाँकि हम, बेमार आउ टुट्टल, ई हाल के पूरा अवधि, लगभग तीन सप्ताह, तक उनका हीं हम
अपन चेहरा नञ् देखइलिअइ आउ हम अपन फ्लैट में पड़ल रहलिअइ। लेकिन हमरा आउ बात मालुम हलइ
... नञ्! हमरा तखने खाली आशंका हलइ, जानऽ हलिअइ, लेकिन विश्वास नञ् करऽ हलिअइ, कि ई
कहानी के अलावे उनकन्हीं हीं अब आउ कुछ हइ, जे उनकन्हीं के कहीं जादे परेशान कर देवे
के चाही, आउ हम कष्टदायक विषाद के साथ उनकन्हीं तरफ देख रहलिए हल। हाँ, हम यातना सह
रहलिए हल, हमरा ई अंदाज से डर लग रहले हल, विश्वास करे से डरऽ हलिअइ आउ यथाशक्ति निर्णायक
पल के [*193]
दूर करे लगी चाहऽ हलिअइ। आउ तइयो हम ओकरा (नताशा) लगी अइलिअइ। हम ई शाम के उनकन्हीं
तरफ मानु घिंचाल जा रहलिए हल!
"हँ, वान्या", बुढ़उ अचानक पूछ देलथिन,
मानु होश में आ गेलथिन, "तूँ तो बेमार तो नञ् हलऽ न? बहुत दिन तक नञ् अइलऽ? हम
तोहरा सामने दोषी हियो - बहुत पहिलहीं तोहरा हीं भेंट देवे चाहऽ हलियो, लेकिन सब कुछ
अइन ...", आउ ऊ फेर सोचे लगलथिन।
"हम बेमार हलिअइ", हम उत्तर देलिअइ।
"हूँ! बेमार!" पाँच मिनट बाद ऊ दोहरइलथिन।
"ओहे तो, बेमार! हम तहिना बोललियो हल, आगाह कइलियो हल - लेकिन नञ् सुनलऽ! हूँ!
नञ, भाय वान्या - मूज़ा (कला देवी), लगऽ हइ, युग-युगांतर से अटारी में भुक्खल बैठल हथिन,
आउ बैठल रहथिन। एहे तो बात हइ!"
हाँ, बुढ़उ के मनोदशा ठीक नञ् हलइ। अगर उनकर
हृदय में खुद के घाव नञ् होते हल, त ऊ हमरा से भुक्खल कला देवी के बात नञ् करथिन हल।
हम उनकर चेहरा के एकटक देखलिअइ - ई जरी पीयर पीयर पड़ चुकले हल, उनकर आँख में एक प्रकार
के हैरानी हलइ, प्रश्न के रूप में एक प्रकार के विचार, जेकर निर्णय करे के शक्ति नञ्
हलइ। ऊ कइसूँ आवेश में हलथिन आउ अनभ्यस्त रूप से कटु। पत्नी उनका तरफ बेचैनी से देखलकइ
आउ सिर हिलइलकइ। जब ऊ एक तुरी मुँह फेर लेलथिन, त ऊ (पत्नी) उनका से छिपइते हमरा दने
सिर हिलइलकइ।
"नताल्या निकोलायेव्ना के तबीयत कइसन हइ?
ऊ घरे हथिन?" हम चिंतित आन्ना अन्द्रेयेव्ना के पुछलिअइ।
"घरे पर, बबिआ, घरे पर", ऊ उत्तर
देलकइ, मानु हमर प्रश्न से ऊ तकलीफ महसूस कइलकइ। "अभी खुद्दे तोहरा देखे लगी बाहर
अइतो। मजाक नञ्! हमन्हीं बीच एक दोसरा से तीन सप्ताह तक भेंट-घाट नञ् होलइ! नञ् मालुम
काहे अइसन हो गेले ह - कुच्छो नञ् समझ में अइतो - स्वस्थ हइ, कि बेमार हइ, भगमान ओकरा
भला करे!"
आउ सकपकइते ऊ अपन पति तरफ देखलकइ।
"की बात हइ? ओकरा कुछ नञ् होले ह",
जाने-अनजाने आउ अचानक उत्तर देलथिन, "स्वस्थ हइ। अब बड़गो हो रहले ह, अब बुतरू
नञ् हइ, बस एतने। केऽ समझ सकऽ हइ, लड़की के ई सब चिंता आउ सनक के?"
"अच्छऽ, सनक!" चिड़चिड़ा लहजा में आन्ना
अन्द्रेयेव्ना बोललइ।
बुढ़उ चुप रहलथिन आउ टेबुल पर ढोलक नियन थपकी
देथिन।
"हे भगमान, की वास्तव में ओकन्हीं बीच
कुछ हलइ?" भय में हम सोचलिअइ।
"खैर, आउ हुआँ तोहरा हीं के की खबर हइ?"
ऊ फेर से शुरू कइलथिन। "की बी॰ अभियो तक आलोचना (समीक्षा) लिक्खऽ हथिन?"
"हाँ, लिक्खऽ हथिन", हम उत्तर देलिअइ।
"ओह, वान्या, वान्या!" अपन हाथ लहरइते
ऊ अपन बात समाप्त कइलथिन। "कइसन आलोचना हइ!"
दरवाजा खुललइ, आउ नताशा अंदर अइलइ।
[1] रोस्लावलेव - संकेत हइ एम॰एन॰
ज़गोस्किन (1789-1852) के 1831 में प्रकाशित ऐतिहासिक उपन्यास "Рославлев, или
Русские в 1812 году" (1812 ई॰ में रोस्लावलेव, या रूसी लोग) के हीरो के तरफ।
[2] यूरी मिलोस्लाव्स्की - संकेत हइ
एम॰एन॰ ज़गोस्किन (1789-1852) के 1829 में प्रकाशित ऐतिहासिक उपन्यास "Юрий
Милославский, или Русские в 1612 году" (1612 ई॰ में यूरी मिलोस्लाव्स्की, या
रूसी लोग) के हीरो के तरफ।
[3] संकेत हइ लेखक दस्तयेव्स्की के
1846 में प्रकाशित पहिला उपन्यास "Бедные люди" (गरीब लोग) के मुख्य हीरो
माकर देवुश्किन तरफ।
[4] इख़मेनेव "गरीब लोग"
के लेखक दस्तयेव्स्की के बारे बेलिन्स्की के शब्द दोहरावऽ हइ (दे॰ विसारियोन बेलिन्स्की
- सम्पूर्ण रचनावली, 13 खंड में, 1953-1959; मास्को; खंड 9, पृ॰554)।
[5] संकेत हइ निकोलाय गोगल के नाटक
"इंस्पेक्टर" (1836) के मुख्य पात्र मेयर अन्तोन अन्तोनोविच के डायलॉग तरफ,
जे एगो इतिहास के बहुत भावुक शिक्षक के बारे स्कूल इंस्पेक्टर लूका लूकिच ख़्लोपोव से
बोलऽ हइ। दे॰ अंक 1, दृश्य 1.
[6] मास्को के मुक्ति - ई शीर्षक के
तहत, 19-मी शताब्दी के शुरुआत में, कइएक रचना प्रकाशित होलइ, जेकरा में से सबसे प्रसिद्ध
हलइ आई॰ ग्लूख़ारेव के 1840 में प्रकाशित उपन्यास "Князь Пожарский и
нижегородский гражданин Минин, или Освобождение Москвы в 1612 году"
("प्रिंस पझार्स्की आउ निझ्नी नोवगोरोद के नागरिक मिनिन, या 1612 ई॰ में मास्को
के मुक्ति)।
[7] निकोलाय गोगल (1809-1852) - यूक्रेन
में पैदा होल प्रसिद्ध रूसी उपन्यासकार, कहानीकार आउ नाटककार। गोगल के इटली में रहते,
1845 से सम्राट् निकोलाय प्रथम (1796-1855) द्वारा ए॰ओ॰ स्मिर्नोवा (1809-1882) आउ
वी॰ए॰ झुकोव्स्की (1783-1852) के सिफारिश के अनुसार 1000 रूबल प्रति वर्ष के हिसाब
से कुल 3000 रूबल भत्ता देल गेले हल।
[8] कामेरहेर (Kammerherr) - (जर्मन)
1917 के पहिले के रूस में, राजकीय दरबार (कोर्ट) में वरिष्ठ रैंक के व्यक्ति, जे कामेर-यूंकर
(Kammerjunker) से उपरे होवऽ हलइ; chamberlain (शाही गृह-प्रबंधक)।
[9] अताशे (attaché ) - (फ्रेंच) राजदूत
के सहायक।
[10] अलनास्करोव (Альнаскаров) - एन॰ई॰
ख़्मेलनित्स्की (1789-1845) के कॉमेडी «Воздушные замки» (हवाई किला, 1818) में भोला-भाला
सपना देखे वला एगो पात्र के नाम, जेकर नाम आम हो गेले हल।
[11] ग्योटऽ (Goethe)- Johann Wolfgang von Goethe
(1749-1832), जर्मन कवि, नाटककार, उपन्यासकार, वैज्ञानिक, राजनीतिज्ञ, थियेटर निर्देशक
आउ आलोचक।
[12] आब्बादोन्ना - रोमांटिक लेखक एन॰ए॰
पोलिवोय (1796-1846) के 1834 में प्रकाशित नाटक।
[13] "सेविर्नी त्रूतेन"
(Северный трутень) - "उत्तरी नर मधुमक्खी" (Northern Drone) नामक साप्ताहिक
हास्य साहित्यिक पत्रिका, जे मई 1769 से अप्रैल 1770 तक पितिरबुर्ग से प्रकाशित होले
हल। लेकिन ई प्रसंग में दस्तयेव्स्की द्वारा व्यंग्यपूर्वक 1825 से 1864 तक पितिरबुर्ग
से प्रकाशित समाचार पत्र "Северная пчела" (“सेविर्नयऽ प्चेला”, अर्थात्
“उत्तरी मधुमक्खी”, “Northern Bee”) के तरफ संकेत कइल गेले ह। बुल्गारिन आउ ग्रेच के
संपादकीय के तहत, ई समाचार पत्र ज़ार के कार्यालय के तीसरा खंड के संरक्षण में हलइ
आउ प्रतिष्ठित हलइ चरम प्रतिक्रियावादी प्रकृति, सिद्धांत के कमी, आउ निरंकुशता के
दासता से। ई समाचार पत्र के माध्यम से प्रगतिशील साहित्य के खिलाफ लड़ाई लड़ल गेलइ,
पुश्किन, लेरमन्तव, बेलिंस्की, गोगल पर आक्षेप कइल गेलइ; हियाँ तक कि मुद्रित निंदा
आउ बदनामी (denunciations and slander) के भी उपयोग कइल गेलइ।
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