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Tuesday, August 10, 2021

रूसी उपन्यास "अपमानित आउ तिरस्कृत": भाग 1; अध्याय 11

                                   अपमानित आउ तिरस्कृत

भाग 1

अध्याय 11

लेकिन जइसीं हम प्रोस्पेकत के गंदा, भिंगल फुटपाथ दने डेग बढ़इलिअइ, कि अचानक हमरा एगो राहगीर से भेंट हो गेलइ, जे, प्रतीयमानतः, गहरा चिंतनमुद्रा में, मूड़ी गोतले, तेजी से कहीं तो जल्दीबाजी में जाब करऽ हलइ। हमरा अत्यंत आश्चर्य होलइ, जब बुढ़उ इख़मेनेव के हम पछान लेलिअइ। ई शाम हमरा लगी अप्रत्याशित भेंट के हलइ। हम जानऽ हलिअइ, कि बुढ़उ तीन दिन पहिले अस्वस्थ हलथिन, आउ अचानक हमरा उनका साथ अइसन सीलन वला रोड पर होवऽ हइ। एकरा अलावे ऊ लगभग कभियो नञ् शाम के बाहर निकसऽ हलथिन, लेकिन ऊ बखत से, जब नताशा चल गेलइ, मतलब लगभग छो महिन्ना से, वास्तविक घरघुस्सू (stay-at-home) बन गेलथिन हल। ऊ, कइसूँ हमेशे नियन नञ्, हमरा देखके खुश होलथिन, एगो अइसन व्यक्ति नियन, जे आखिरकार एगो मित्र खोज लेलके हल, जेकरा साथ ऊ अपन विचार साझा कर सकऽ हइ, हमर हाथ पकड़ लेलथिन, कसके ओकरा दबइलथिन, आउ बिन पुछले, कि हम काहाँ जा रहलिए ह, हमरा अपन साथ घसीट लेलथिन। ऊ कोय कारणवश चिंतित, उतावला आउ आवेश में हलथिन। "ई काहाँ जाब करऽ हलथिन?" हम सोचलिअइ। उनका से पूछना अनावश्यक हलइ; ऊ भयंकर रूप से शक्की हो गेलथिन हल आउ कभी-कभी तो बिलकुल सरल प्रश्न चाहे टिप्पणी पर अपमानजनक संकेत, अपमान, समझ ले हलथिन।

हम उनका कनखी से देखलिअइ - उनकर चेहरा बेमरियाह हलइ; हाल में ऊ बहुत दुबराऽ गेलथिन हल; एक सप्ताह से दाढ़ी नञ् बनइलथिन हल। केश, बिलकुल धूसर होल, खराब होल टोप (हैट) के निच्चे से बिखरल हलइ आउ उनकर पुरनका, जीर्ण-शीर्ण ओवरकोट के कालर पर [*211] लमगर लट्टा के रूप में पड़ल हलइ। हम पहिलहूँ नोटिस कइलिए हल, कि कुछ पल में ऊ मानु भुलक्कड़ हो जा हलथिन; भूल जा हलथिन, मसलन, कि ऊ कमरा में अकेल्ले नञ् हथिन, खुद के साथ बात करते रहऽ हलथिन, हाथ से संकेत करते रहऽ हलथिन। उनका तरफ देखे में कष्ट होवऽ हलइ।

"की वान्या, की हाल-चाल हको?" ऊ बोललथिन। "काहाँ जा रहलहीं हल? आउ हम अइकी, भाय, बाहर निकसलियो ह; काम हलइ। तबीयत ठीक-ठाक हको न?"

"अपने तो ठीक हथिन न?" हम उत्तर देलिअइ, "हाले में बेमार हलथिन, आउ निकस पड़लथिन।"

बुढ़उ उत्तर नञ् देलथिन, मानु हमर बात नञ् सुनलथिन।

"आन्ना अन्द्रेयेव्ना कइसन हथिन?"

"ठीके हइ, ठीके हइ ... थोड़े सुन, लेकिन, बेमार हइ। हमरा से कुछ उदास हलइ ... तोरा बारे आद करऽ हलो - काहे नञ् आवऽ हो। लेकिन तूँ अब तो आखिर हमन्हीं हीं रहलहो हल , वान्या? कि नञ्? हम, शायद, तोर काम में दखल दे देलियो, तोरा कोय चीज से भटका देलियो।" अचानक पुछलथिन, कइसूँ हमरा दने अविश्वासपूर्वक आउ सन्देहपूर्वक देखलथिन। सन्देहास्पद बुढ़उ एतना संवेदनशील आउ चिड़चिड़ा हो गेलथिन, कि, अगर हम उनका अभी उत्तर देतिए हल, कि उनकन्हीं हीं नञ् जा रहलिए हल, पक्का नराज हो जइथिन हल आउ रुखाई से हमरा से अलगे हो जइथिन हल। हम उनका शीघ्रतापूर्वक सकारात्मक उत्तर देलिअइ, कि हम आन्ना अन्द्रेयेव्ना के हीं देखे जाब करऽ हलिअइ, हलाँकि हम जानऽ हलिअइ, कि हमरा देर हो चुकले , आउ शायद, हम नताशा के पास समय पर नञ् पहुँच पइबइ।

"अच्छऽ, ठीक हको", बुढ़उ कहलथिन, हमर उत्तर से बिलकुल आश्वस्त होके, "ठीक हको ..." आउ तुरते चुप हो गेलथिन आउ सोच में पड़ गेलथिन, मानु कुछ तो नञ् कह पा रहलथिन हल।

"हाँ, ठीक हको!" यंत्रवत् कोय पाँच मिनट बाद दोहरइलथिन, मानु गहरा सोच के बाद होश में गेलथिन हल। "हूँ ... देखऽ हो, वान्या, तूँ हमन्हीं लगी हमेशे अपन सगा बेटा नियन हलहो; भगमान हमरा आउ आन्ना अन्द्रेयेव्ना के ... बेटा के सुख नञ् देलका ... आउ तोहरा हमन्हीं हीं भेज देलका; हम अइसीं हमेशे सोचऽ हलूँ। बुढ़ियो ... हाँ! आउ तूँ हमेशे हमन्हीं साथ आदरपूर्वक व्यवहार कइलहीं, दुलारा, सगा, आज्ञाकारी बेटा नियन। बात लगी भगमान तोरा आशीर्वाद दे, वान्या, जइसन कि जइसन कि हमन्हीं दुन्नु, बुढ़वा-बुढ़िया, तोहरा आशीर्वाद दे हियो आउ प्यार करऽ हियो ... हाँ!"

उनकर अवाज में कंपन हलइ; मिनट भर इंतजार कइलथिन।

"हाँ ... अच्छऽ, की हाल-चाल हको? बेमार तो नञ् हलइ? हमन्हीं हीं बहुत दिन तक काहे नञ् अइलऽ?"

हम उनका स्मिथ के पूरा कहानी बतइलिअइ, बात लगी माफी माँगते, कि स्मिथ के मामला हमरा रोक रखलके हल, कि, एकरा अलावे, हम लगभग बेमार पड़ गेलिए हल आउ सब तकलीफ के चलते, उनकन्हीं हीं, वसिल्येव्सकी ( बखत उनकन्हीं वसिल्येव्स्की में रहऽ हलथिन), जाय लगी दूर पड़ऽ हलइ। हम बोलहीं जा रहलिए हल, कि तइयो हमरा नताशा हीं भेंट करे के दौरान मोक्का मिल गेले हल, लेकिन समय पर चुप हो गेलिअइ।

स्मिथ के कहानी बुढ़उ के बहुत पसीन पड़लइ। आउ जादे ध्यान से सुनलथिन। जानके, कि हमर नयका फ्लैट में सीलन हइ, आउ, शायद, पहिलउका से बत्तर, लेकिन महिन्ना के किराया खाली छो रूबल हइ, उत्तेजित हो गेलथिन। सामन्यतः अत्यंत आवेशी आउ उतावला हो गेलथिन हल। खाली आन्ना अन्द्रेयेव्ना अइसनको समय में उनका साथ कइसे मिल-जुल के रहे के चाही, जानऽ हलइ, लेकिन तइयो हमेशे सफल नञ् हो पावऽ हलइ।

"हूँ ... सब तोर साहित्य हको, वान्या!" लगभग गोस्सा में चिल्लइलथिन, " तोरा अटारी तक पहुँचा देलको , आउ तोहरा कब्र तक पहुँचइतो! हम तहिया तोरा बोललियो हल, भविष्यवाणी कइलियो हल! ... आउ बी॰[1] अभियो तक समीक्षा लिक्खऽ हइ?"

[*212] " तो मर चुकलथिन हँ, तपेदिक (क्षयरोग) से। हम अपने के, लगऽ हइ, एकरा बारे बता चुकलिए ह।"

"मर गेलइ, हूँ ... मर गेलइ! आउ अइसीं होवे वला हलइ। की, अपन पत्नी आउ बाल-बुतरू लगी कुछ छोड़के गेले ? आखिर तूँ बोलऽ हलहो, कि ओकरा हुआँ पत्नी हलइ, हलइ ... आउ अइसन लोग काहे लगी शादी करते जा हइ!"

"नञ्, कुछ नञ् छोड़के गेलथिन हँ", हम उत्तर देलिअइ।

"अच्छऽ, अइसन बात हइ!" अइसन उत्साह से चिल्लइलथिन, मानु मामला उनका नगीच के हलइ, उनका से संबंधित हलइ आउ मानु स्वर्गीय बी॰ उनकर सहोदर भाय हलथिन।"

"कोय बात नञ्! कोय बात नञ् हइ!

आउ जानऽ हो, वान्या, हमरा एकर पहिलहीं से आभास हलइ, कि ओकरा साथ अइसीं होतइ, तभिए, जब, अगर तोरा आद पड़ऽ हको, तूँ हमरा सामने हमेशे ओकर प्रशंसा करऽ हलहो। असान हइ कहना - अपन पीछू कुछ नञ् छोड़लकइ! हूँ ... प्रसिद्धि के लायक हलइ। मान लेल जाय, शायद, हमेशे लगी प्रसिद्धि, लेकिन आखिर प्रसिद्धि तो पेट नञ् भरतइ। हमरा तो, भाय, हमेशे तहिना तोरा बारे आभास होवऽ हलो, वान्या; तोहर प्रशंसा करऽ हलियो, लेकिन हमरा तइयो सन्देह होवऽ हलो। बी॰ मर गेलइ? आउ कइसे नञ् मरते हल! आउ जिनगी निम्मन हइ आउ ... जगह निम्मन हइ, देखऽ!"

आउ ऊ हाथ के तेज, अनिच्छित संकेत से हमरा निर्देशित कइलथिन स्ट्रीट के धुँधला परिदृश्य तरफ, जे नमी भरल कुहासा में मिरमिरा रहल धुँधला स्ट्रीट लैंप से प्रकाशित हलइ; गंदा घरवन तरफ; सीलन से चमक रहल फुटपाथ के स्लैब तरफ; उदास, गोसाल आउ भिंगल राहगीर तरफ; ई सब तस्वीर तरफ, जे करिया, मानु स्याही छिड़कल, पितिरबुर्ग के आकाश के गुंबद से घिरल हलइ। हम सब बाहर चौक में अइते गेलिअइ; हमन्हीं के सामने अन्हरवा में स्मारक[2] खड़ी हलइ, जे निच्चे गैस बर्नर से प्रकाशित हलइ; आउ एकरो आगू इसाक (Isaac) के करिया विशाल समूह उपरे उट्ठऽ हलइ, जे आसमान के उदास रंग से अस्पष्ट रूप से पृथक् होल हलइ।

"तूँ आखिर बोललहो, वान्या, कि ऊ निम्मन व्यक्ति हलइ, उदार, प्रिय, भावुक, दिलकश। लेकिन, तोर ऊ सब तो अइसने होवे करऽ हइ, दिलकश, प्रिय! ओकन्हीं एहे जानऽ हइ कि अनाथ लोग कइसे पैदा कइल जाय! हूँ ... आउ मरते बखत तो ओकरा, हम सोचऽ हिअइ, प्रसन्नचित्त होतइ! ... ए-ए-एह! जइते हल कहीं हियाँ से, बल्कि साइबेरिया! ... की बात हउ, लड़की?" ऊ अचानक पुछलथिन, फुटपाथ पर एगो बुतरू के देखके, भीख माँगते।

ई हलइ एगो छोटकुन्नी, दुब्बर-पातर लड़की, सात-आठ साल के, एकरा से जादे के नञ्, गंदा जीर्ण-शीर्ण पोशाक में; ओकर छोटकुन्ना नंगा पैर में भूड़े-भूड़ होल जुत्ता हलइ। ऊ ठंढी से ठिठुर रहल अपन देह के कइसनो छोटगर शिरोवस्त्र से ढँक्के के प्रयास कर रहले हल, जेकरा से ऊ कब से बड़गर होले हल। दुब्बर-पातर, पीयर आउ रोगाहा ओकर चेहरा हमन्हीं तरफ मुड़ल हलइ; ऊ हमन्हीं तरफ डरते-डरते आउ चुपचाप देख रहले हल आउ एक प्रकार के विनम्र भय से हमन्हीं तरफ अपन काँपइत छोटकुन्ना हाथ बढ़इलकइ। बुढ़उ, ओकरा देखके, अइसे पूरा काँप गेलथिन, आउ एतना तेजी से ओकरा दने मुड़लथिन, कि ओकरा डरा देलथिन। ऊ चौंक गेलइ आउ उनका भिर से झट से पीछू हट गेलइ।

"की, तोरा की हो गेलउ, लड़की?" ऊ चीख पड़लथिन। "की? माँगऽ हीं? हाँ? अइकी, अइकी तोरा लगी ... ले, अइकी!"

आउ ऊ, हलचल करते आउ उत्तेजना से काँपते, अपन जेभी में टटोले लगलथिन आउ चानी के दू-तीन गो सिक्का निकसलथिन। लेकिन उनका कमती लगलइ; ऊ अपन बटुआ निकसलथिन, आउ ओकरा से एक रूबल के नोट निकासके - सब कुछ, जे ओकरा में हलइ - [*213] छोटकुन्नी गरीबनी के हाथ में रख देलथिन।

"क्राइस्ट तोर रक्षा करे, बुतरू, जरीकनी ... हमर बुतरू! देवदूत तोर साथ रहे!"

आउ ऊ कइएक तुरी काँपइत हाथ से बेचारी के क्रॉस कइलथिन; लेकिन अचानक, ई देखके, कि हम हिएँ हिअइ आउ उनका तरफ देख रहलिए ह, नाक-भौं सिकोड़ लेलथिन आउ तेज कदम रखते आगू बढ़ गेलथिन।

"ई अइसन चीज हइ, जे देखऽ हो, वान्या, हम देख नञ् सकऽ हिअइ", ऊ अपन लमगर क्रोधित चुप्पी के बाद शुरू कइलथिन, "ई सब छोटगर, निर्दोष जीव ठंढ से स्ट्रीट में ठिठुरऽ हइ ... अभिशप्त माय-बाप के चलते। लेकिन तइयो, कउन माय अइसन बुतरू के अइसन भयंकर हालत में भेजतइ, अगर ऊ खुद अभगली नञ् रहतइ! ... हो सकऽ हइ, हुआँ कोना में ओकरा भिर आउ कोय अनाथ लोग बैठल होतइ, आउ ई सबसे बड़ हइ; आउ खुद बेमार, बूढ़ी माय; आउ ... हूँ! प्रिंस के बाल बुतरू नञ् हइ! कइएक, वान्या, दुनिया में हइ ... जे प्रिंस के बाल-बच्चा नञ् हइ! हूँ!"

ऊ मिनट भर चुप रहलथिन, मानु कुछ शब्द के चयन में तकलीफ महसूस करते। "हम, देखहो, वान्या, आन्ना अन्द्रेयेव्ना के वचन देलिअइ", ऊ शुरू कइलथिन, जरी  भ्रमित होते आउ हिचकिचइते, "ओकरा वचन देलिअइ ... मतलब, हम आउ आन्ना अन्द्रेयेव्ना कोय अनाथ लड़की के दत्तक लेके ओकरा पालन-पोषण करे पर सहमत होलिअइ ... मतलब, कउनो लड़की के; एगो बेचारी बिलकुल छोटकुन्नी के, घर में, हमेशे लगी; समझऽ हो? नञ् तो हमन्हीं, बुढ़वा-बुढ़िया लगी, अकेल्ले में बहुत ऊबाहट होवऽ हइ, हूँ ... खाली, देखहो - आन्ना अन्द्रेयेव्ना तो ई विचार के विरुद्ध खड़ी हो गेलइ। ओहे से तूँ ओकरा साथ बोलहो, जनवे करऽ हो, हमरा तरफ से नञ्, बल्कि अपना तरफ से ... ओकरा समझाहो ... समझलहो? हम बहुत पहिलहीं से तोरा ई मामले में पुच्छे लगी चाह रहलियो हल ... कि तूँ ओकरा सहमत होवे लगी समझाहो, लेकिन हमरा कइसूँ खुद्दे पुच्छे में बहुत अजीब लगऽ हको ... लेकिन, काहे लगी बकवास कइल जाय! हमरा लगी लड़की काहे लगी चाही? हमरा नञ् जरूरत; त, खाली सान्त्वना खातिर ... कि कोय तो बुतरू के अवाज सुन्ने लगी चाही ... लेकिन, सचमुच, हम आखिर बुढ़िया खातिर ई करऽ हिअइ; ओकरा आउ जादे खुशी मिलतइ, बनिस्पत खाली हमरा अकेल्ले के। लेकिन ई सब बकवास हइ! जानऽ हो, वान्या, हमन्हीं के हुआँ पहुँचे में बहुत देर हो जात; गाड़ी कर लेल जाय; पैदल जाय में दूर हइ, लेकिन आन्ना अन्द्रेयेव्ना हमन्हीं के इंतजार में होतइ..."

साढ़े सात बज चुकले हल, जब हम सब आन्ना अन्द्रेयेव्ना के पास पहुँचलिअइ।


भूमिका                       भाग 1, अध्याय 10                   भाग 1, अध्याय 12

[1] बी॰ - हियाँ इशारा बेलिन्स्की तरफ हइ। विसारियोन ग्रिगोरियेविच बेलिन्स्की (1811-1848) के मृत्यु 26 मई 1848 के तपेदिक से हो गेले हल; ओकर परिवार के पास निर्वाह के कोय साधन नञ् रह गेले हल।

[2] स्मारक - सम्राट् निकोलाय प्रथम (Nicholas I, 1796-1855) के स्मारक, जेकर निर्माण मूर्तिकार प्योत्र कार्लोविच क्लोत [Clodt (1805—1867)] द्वारा कइल गेले हल आउ जेकरा पितिरबुर्ग में इसाक चौक में 1859 में स्थापित कइल गेले हल।


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